- 9 Posts
- 54 Comments
सुधि बंधुओं यह कविता मैंने कल पोस्ट की थी……….आज पांच राज्यों में मतगणना जारी है और देखना है की मेरी रचना यथार्थ पर कितना सटीक बैठती है ………..!
कट्टर दुश्मन थे सालों से,
गलबहियां करे, आज हैं जाते !
हर चुनाव संपन्न होते ही,
मतदाता खुद को ठगा हुआ हैं पाते !
शिक्षा मंत्री आज बनेगें,
नेता विद्याराम अंगूठा छाप !
देख लो यारों इस लोकतंत्र में
हो रहे कैसे -कैसे पाप !
बलात्कार का आरोप बना है,
दबंग जी का कई बार दुर्भाग !
माँगा इन्होने फिर भी हट से,
नारी और बाल कल्याण विभाग !
ऐसे ही चुन चुन कर,
नेताओं को खूब बंटेगा मेवा !
और खून चूस -चूस कर भइया,
जनता की होगी सेवा !
हाल देखकर अब अपना,
हम रोयेंगे, चिल्लायेंगे !
लौट कर लेकिन सारे बुद्धू ,
घर वापिस कब आयेंगे ?
मत देने से पहले तुमको, दिखे नहीं,
अनपढ़, दबंग या बलात्कारी !
जात- पात में बंटे थे तुम, या,
अन्य थी कोई लाचारी !
साँप भेजकर मंदिर में,
बैठ लकीर अब पीट रहो !
समर्थ स्वयं हो तुम सारे,
क्यों रो रो अपना हाल कहो ?
Read Comments