Menu
blogid : 9567 postid : 3

waqt bewaqt

kanafoosi (BHARDWAJ MISHRA)
kanafoosi (BHARDWAJ MISHRA)
  • 9 Posts
  • 54 Comments

दोस्तों स्कूल टाइम में बिहारी कवि का एक दोहा पढ़ा था और उसका भावार्थ कुछ इस प्रकार था :-

नायक और नायिका की बातें (उनका कहना, मना करना, रीझना, खीजना, लजाना आदि )
सब लोगों के सामने ही आँखों ही आँखों में हो रही हैं !
दोहा यह था :-

कहत नटत रीझत खिझत, मिळत खिलत लजियात !

भरे भौंन मैं करत हैं, नेननु ही सब बात !!

अब दोस्तों ये तो पक्की बात है की उन्होंने किसी प्रेमी युगल को देखकर या अपने निजी अनुभव के आधार पर ये दोहा लिखा होगा क्योंकि ये तो हो नहीं सकता की उनके यह दोहा
लिखने के बाद प्रेमियों ने ” नेननु ही सब बात ” करना शुरू किया हो !

तो दोस्तों प्रश्न ये उठता है की यदि बिहारी कवि आज होते तो आज वेलेंटाइन डे के दिन
क्या लिखते ………………!

मेरे ख्याल से उन्होंने कुछ ऐसा लिखा होता :-

मिल खिल ले चिपकाय उर, काहु न जन का मान !

झट बन निरलज जात हैं, कर अधरों का पान !!

और भावार्थ यूँ बनता :- आज कल के प्रेमी एक दूसरे को देखते ही खिल जाते हैं सीने से कस कर चिपकाते हैं (Hug day वाला Hug ) बिना किसी की परवाह किये बेशर्मों की तरह लिप लौक (Kiss Day वाला Kiss ) करते हैं!

जय हो वेलेंटाइन बाबा की !

और यदि आज होते तो :-…………………!

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply